Thursday, March 10, 2011


मैं पिघलता लावा नहीं
जो थम जाए तो
जम जाए
मैं ठिठुरता जल नहीं
जो जम जाए तो
थम जाए
मैं धधकती आग हूँ
तुम्हारी कसौटी पर
स्वयं को जलाती हूँ
नये आकार बनाती हूँ!
मैं उफनती नदी हूँ
तुम्हारे संकरे रास्तों पर
मीलों तक मचलती हूँ
तुम रोकते हो
मैं चलती हूँ
बूँदों में ढलती हूँ
टूटती हूँ, बिखरती हूँ
रास्तों को सींचती हूँ
मरू हूँ मैं बहार हूँ
मैं तुम्हारा प्यार हूँ

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