Thursday, March 10, 2011



तुमने हवा में बिखेरे रंग मै सकुचाई,
तुमने रंगों की ओढा दी चादर मै बच न पायी,
रंगों का आवरण था घना,
मेरी कल्प्नावों में उतर ए मीत!
इन्द्रधनुषी रंग.....!

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