Thursday, March 10, 2011


जोगन, नैन मिले अनमोल,
ओस कनों से कोमल सपने
पलकों-पलकों तौल!
जोगन, नैन मिले अनमोल!
इन सपनों की बात निराली,
दिन-दिन होली, रात दिवाली।
इनसे माँग नदी-झरनों के
मीठे-मीठे बोल!
जोगन, नैन मिले अनमोल!
सपनों का क्या ठौर-ठिकाना,
जाने कब आना, कब जाना।
नयन झरोखों से तू अपनी
दुनिया में रस घोल,
जोगन, नैन मिले अनमोल।

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