Friday, March 11, 2011

कभी जो बंद कीं आँखें''!




कभी जो बंद कीं आँखें सितारों की तरह देखा
तुझे इस दिल की दुनिया में बहारों की तरह देखा

अकेला जानकर मुझको हवाओं ने जहाँ छेड़ा
तुझे उस छेड़खानी में सहारों की तरह देखा

कसक तो थी मेरे मन की मगर बेचैन थे बादल
तुझे उस हाल में मैंने फुहारों की तरह देखा

खिले फूलों की पंखुड़ियाँ ज़रा भी थरथरायीं तो
तेरे होठों के कंपने के नज़ारों की तरह देखा

उदासी के समंदर ने डुबोना जब कभी चाहा''
तुझे उस हाल में मैंने किनारों की तरह देखा.....

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